मुल्क़ मेरा हमनवॉ है मुल्क़ ही ईमान है
ऐ शहीदों आप से कायम वतन की शान है
हम सुकूँ से रात में सोते बदौलत आपकी
आपसे ही है तिरंगा आपसे पहचान है
कल तलक़ जिस घर में थीं रंगरेलियाँ, चाहत, खुशी
आज देखो हर गली हर एक घर सुनसान है
माँग का सिन्दूर रोया रो रही हैं राखियाँ
आपसे होली दिवाली आपसे रमज़ान है
बच न पाये आज अपने हिन्द का दुश्मन कोई
जल रही 'अक्षत' के दिल में आग औ शमशान है
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