मेरे टूटे दिल को ज़रा हौसला दो
हुनर आशिक़ी का मुझे तुम सिखा दो
भले शौक से तुम अयादत करो पर
मुझे होश आये ना ऐसी दवा दो
वो बातें पुरानी, पुराना बहाना
यकीं आये मुझको नया फलसफा दो
के मंज़िल को मेरी भले ना चलो तुम
मुझे लौट जाने का पर रास्ता दो
दिया मेरे दिल का तुम्ही से है रौशन
ये तुमपर ही छोड़ा जला दो बुझा दो
इन आखों की बीनाई मुमकिन है लौटे
के चेहरे से आँचल ज़रा सा हटा दो
हमारे सुखन कितने हो जाएँ मीठे
अगर तुम हमारी ग़ज़ल गुनगुना दो
तेरा लम्स है जैसे नेमत ख़ुदा की
दरख़्त ए जिगर की ये शाखें हिला दो
तुम्हारी इबादत कहाँ हमने कम की
हमारे भी हक मे कभी फैसला दो
तुम्हारे सितम भी ख़ुशी से सहेंगे
सज़ा दो, मिटा दो या चाहे दग़ा दो
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