कुछ कहा और कुछ अनकहा रह गया
दिल युँही ख़्वाहिशों से भरा रह गया
उसने जाते हुए ये भी सोचा नहीं
उसके जाने पे, बाक़ी ही क्या रह गया
उम्र भर साथ देना था मेरा जिसे
वो गया और मैं देखता रह गया
दश्त में जिसको दरिया समझते हो तुम
पास उसके है जो भी गया, रह गया
इश्क़ से और उम्मीद होती भी क्या
इश्क़ में जो फ़ना था फ़ना रह गया
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