Ali Sarmad

Ali Sarmad

@ali-sarmad

Ali Sarmad shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ali Sarmad's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
मेरी हस्ती-ए-हाल हँसते हैं
मेरे दिन माह-ओ-साल हँसते हैं

पहले हर-पल जो लोग हँसते थे
वो भी अब ख़ाल-ख़ाल हँसते हैं

उस की हाज़िर-जवाब बातों से
मुझ पे मेरे सवाल हँसते हैं

दिल भी उस पल बहक सा जाता है
जब सितमगर के गाल हँसते हैं

मेरे छुप-छुप के देखने पे वो
अपने गेसू सँभाल हँसते हैं

उन का रोना भी ख़ूब रोना है
और हँसना कमाल हँसते हैं

वो मेरे सामने नहीं हँसते
वैसे साहब जमाल हँसते हैं

मैं तो हरगिज़ कभी नहीं हँसता
हाँ मिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल हँसते हैं

मेरा दिल जब भी शे'र बुनता है
उस पे मेरे ख़याल हँसते हैं

हाँ मैं पागल हूँ हाँ मैं दीवाना
आओ डालें धमाल हँसते हैं

माँगने के लिए हैं फैले हुए
मेरे हाथों पे थाल हँसते हैं

यार अग़्यार सब बराबर हैं
सब ही दे कर मलाल हँसते हैं

तू 'अली' क्यूँ उदास बैठा है
ग़म को दिल से निकाल हँसते हैं
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Ali Sarmad
दिल-ए-मुज़्तर मुझे इक बात बता सकता है
तू किसी तौर मुझे छोड़ के जा सकता है

ये तिरी भूल है मैं तेरे सबब ज़िंदा हूँ
मुझ सा ज़िद्दी तो बदन तोड़ के जा सकता है

जिस ने इस ख़ाक के इंसान को इज़्ज़त दी है
वही इस ख़ाक को मिट्टी में मिला सकता है

तो मिरे साथ तो है फिर भी मिरे साथ नहीं
इस से बढ़ कर भी मुझे कोई सता सकता है

मिरे मौला मिरी तन्हाई मिटाने के लिए
मेरे जैसा ही तू इक और बना सकता है

मुझे मा'लूम है मिलना नहीं मुमकिन लेकिन
तू किसी रात मिरे ख़्वाब में आ सकता है

मिरी उल्फ़त का सर-ए-बज़्म तमाशा कर के
आप अपने को तू इतना भी गिरा सकता है

ज़ख़्म-ए-उल्फ़त से नवाज़ा तू मिरा मोहसिन है
तू मिरी ज़ात पे एहसान जता सकता है

अपने दिलबर के बुलावे पे बहाने कैसे
वो तो महबूब है जब चाहे बुला सकता है

वो जो रोते को हँसाने का हुनर रखते हैं
गर वो रोएँ तो उन्हें कौन हँसा सकता है

अपनी मर्ज़ी से मुझे छोड़ के जाने वाला
मिरी यादों को कभी दिल से मिटा सकता है

मुझ को जीने से मोहब्बत न मोहब्बत की हवस
मेरी तरह कोई जज़्बों को सुला सकता है

सियह-बख़्ती में तिरी ज़ात भी शामिल है 'अली'
तू किसी तौर उसे दूर हटा सकता है
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