Anees Ashfaq

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Anees Ashfaq shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Anees Ashfaq's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
रू-ए-गुल चेहरा-ए-महताब नहीं देखते हैं
हम तिरी तरह कोई ख़्वाब नहीं देखते हैं

सीना-ए-मौज पे कश्ती को रवाँ रखते हैं
गिर्द अपने कोई गिर्दाब नहीं देखते हैं

तिश्नगी में भी वो पाबंद-ए-क़नाअत हैं कि हम
भूल कर भी तरफ़-ए-आब नहीं देखते हैं

सर भी मौजूद हैं शमशीर-ए-सितम भी मौजूद
शहर में ख़ून का सैलाब नहीं देखते हैं

आ गए हैं ये मिरे शहर में किस शहर के लोग
गुफ़्तुगू में अदब-आदाब नहीं देखते हैं

आना जाना उन्हीं गलियों में अभी तक है मगर
अब वहाँ मजमा-ए-अहबाब नहीं देखते हैं

किस चमन में हैं कि मौसम तो गुलों का है मगर
एक भी शाख़ को शादाब नहीं देखते हैं

इस पे हैराँ हैं ख़रीदार कि क़ीमत है बहुत
मेरे गौहर की तब-ओ-ताब नहीं देखते हैं

हो गए सारे बला-ख़ेज़ समुंदर पायाब
अब सफ़ीना कोई ग़र्क़ाब नहीं देखते हैं
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Anees Ashfaq
कब इश्क़ में यारों की पज़ीराई हुई है
हर कोहकन ओ क़ैस की रुस्वाई हुई है

इस कोह को मैं ने ही तराशा है मिरी जान
तुझ तक ये जू-ए-शीर मिरी लाई हुई है

इस शहर में क्या चाँद चमकता हुआ देखें
इस शहर में हर शक्ल तो गहनाई हुई है

वो इश्क़ की ज़ंजीर जो काटे नहीं कटती
पैरों में वो तेरी ही तो पहनाई हुई है

ये तख़्त-ए-सबा ख़िलअत-ए-गुल कर्सी-ए-महताब
सब तेरे लिए अंजुमन-आराई हुई है

जो तेरे ख़ज़ाने के लिए लौह-ए-शरफ़ है
वो मोहर-ए-जवाहर मिरी ठुकराई हुई है

शोहरा है बहुत जिस की तिलावत का चमन में
वो आयत-ए-गुल मेरी ही पढ़वाई हुई है

थी जो न किसी शाना-ए-यूसुफ़ की तलबगार
वो ज़ुल्फ़-ए-ज़ुलेख़ा मिरी सौदाई हुई है

देखा है किसी आहू-ए-ख़ुश-चश्म को उस ने
आँखों में बहुत उस की चमक आई हुई है
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