जिसने छीना मिरा ठिकाना है
उसके दिल में ही घर बनाना है
जितना रोना था रात भर रोया
दिन में हँसना है मुस्कुराना है
लाख़ गिर जाए बिजलियाँ खुद पर
फिर भी खुश हूं यही बताना है
उसके बच्चे भी होने वाले हैं
मुझको भी घर मिरा बसाना है
थी मुहब्बत वो चार दिन की ही
अब जमाने को भूल जाना है
Read Full