तेरे घर को आया सवेरे-सवेरे
ग़ज़ब का सुकूँ था सवेरे-सवेरे
उसे आज़माना था बस इश्क़ मेरा
मुझे आज़माया सवेरे-सवेरे
इरादा था तुझको भुलाने का लेकिन
तू ही याद आया सवेरे-सवेरे
मेरी जाँ क़सम से, परेशाँ था मैं तो
तेरा ख़त जलाया, सवेरे-सवेरे
तेरा साथ छूटा, तो यारों ने मेरे
गले से लगाया, सवेरे-सवेरे
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