Rajeev Ranjan

Rajeev Ranjan

@rajeevra191620

Rajeev Ranjan shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Rajeev Ranjan's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Nazm
ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा
बंधे ख्यालों की जंजीरों को तोड़कर
खुली हवाओं सा बहना चाहता हूं
सारी दुनियां से बेखबर होकर
अपनी धुन में मस्ताना रहना चाहता हूं
बड़ी घुटन होती है इस रोजमर्रा की ज़िन्दगी से
भूलकर बेहतर कल का ख़्वाब -छोड़कर कल से
उम्मीद आज के हिस्से की हर लम्हों को जी भर कर जीना चाहता हूं
अपने नज़रों को चाहत की फिजाओं में उलझाना चाहता हूं
पाना चाहता हूं बस छोटी-छोटी खुशियां
और उन खुशियों में खुद को खोना चाहता हूं
मैं ज़िन्दगी को ज़िन्दगी सा जीना चाहता हूं
मुझे अफसोस करना नहीं आता
मुझे किसी को सताना नहीं आता
बेवजह किसी वजह में सामिल होकर
खुद को रुलाना नहीं आता
इन आदतों संग मैं ज़िद्दी रहना चाहता हूं
मुझे कल का पता नहीं पर कल के लिए मैं दिन रात व्यस्त हूं
मुझे नहीं चाहिए ये बेताबीयां - बेसब्रीयां
मैं बस आज के हिस्से की खुशी चाहता हूं
आज के हिस्से की हसी चाहता हूं
मैं अपने ईश्वर को बस इतना ही कहना चाहता हूं
मैं किसी आजाद परिंदा सा-आज़ाद रहना चाहता हूं
बड़ा नाजुक दिल है मेरा
कमबख्त छोटी छोटी बातों पे रूठ जाया करता है
जरा सा दर्द का बोझ पाकर टूट जाया करता है
डर लगता है अब इस ज़माने से-यहां के लोगों से
अपने इस दिल को अटूट करना चाहता हूं
इसकी हर हसरतों को पूरा करना चाहता हूं
इसके लिए हर रास्तों से गुजरना चाहता हूं
मैं लहराना चाहता हूं शाखो में लगे पत्तों की तरह
मैं झूमना चाहता हूं खेतों में लगे फसलों की तरह
बंधे ख्यालों की जंजीरों को तोड़कर
खुली हवाओं सा बहना चाहता हूं
सारी दुनियां से बेखबर होकर
अपनी धुन में मस्ताना रहना चाहता हूं
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जंगलों में झूमकर बारिश ऎसी आई
जंगलों में झूमकर बारिश ऎसी आई
की पत्तो-पत्तो में उमंग का बहार आ गया
ओ दिल के उपवन में सरगम बजने लगे
की अखियों के दरिचे मेरा यार आ गया

मौसम है जवां -- फिज़ा रंगीन है
नजारों की नज़र भी थोड़ी नमकीन है
छंदों में घूलकर -लय में उतरकर
मेरे गीतों में साज का झनकार आ गया
ओ दिल के उपवन में सरगम बजने लगे
की अखियों के दरिचे मेरा यार आ गया

तितलियों संग हो_ मन मेरा उड़ने लगा
फूलों -कलियों की रंगत हम चुराने लगे ,
मिट गई सारी बेकरारी - खलिश ___
इस मदहोशी में खुद को हम भूलाने लगे

जंगलों में झूमकर बारिश ऎसी आईं
की पत्तो-पत्तो में उमंग का बहार आ गया
ओ दिल के उपवन में सरगम बजने लगे
की अखियों के दरिचे मेरा यार आ गया
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