उसे डर है कि उसके ज़ख़्म-ए-दिल को हम दुखा देंगे
उसे डर है कि उसको सिलसिला-ए-ग़म नया देंगे
उसे डर है कि टूटा दिल दुबारा टूट जाएगा
उसे डर है कि औरों की तरह हम भी दग़ा देंगे
अँधेरों में रही हो तुम, सो तुमको यूँ सिला देंगे
तुम्हारे दिल के अंदर प्यार का दीपक जला देंगे
इलाज-ए-ग़म तुम्हारा है कि हमसे इश्क़ कर लो तुम
वगरना दूसरे आशिक़ तुम्हारा ग़म बढ़ा देंगे
तुम्हारी दास्ताँ पर रोएँगे, ज़ख्मों को चूमेंगे
हम अपने आँसुओं से जानेजाँ मरहम बना देंगे
बहारें लौट आएँ तो ये कलियाँ खिलखिलाएँगी
अगर तुम लौट आओगी तो हम भी मुस्कुरा देंगे
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