अक्सर तेरा आना जाना लगता है
हर चिहरा मुझको पहचाना लगता है
ख़ामोशी की एक शिकायत है सबसे
महफ़िल में बस इक दीवाना लगता है
ख़ाली ख़ाली मौसम मौसम दो राहें
मुस्तक़बिल पग पग अनजाना लगता है
मिलते जुलते हैं जीवन के दो साहिल
बुड्ढा पा भी कुछ बचकाना लगता है
सुलझे कैसे गुत्थी माॅंगी रोटी का
हर टुकड़ा फंदे का दाना लगता है
ग़ज़लों के कूचे में अब तक जाते हैं
शेरों से अब भी याराना लगता है
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