हमको समझते हैं वो गुनहगार की तरह
पढ़कर ही फेंक देते हैं अख़बार की तरह
तूफ़ान ऐसा आया किनारे भी डर गए
हम देखते रहे यूँ ही लाचार की तरह
उनकी नवाज़िशें थीं, करम भी ख़ुदा का था
शामिल हुए वो ज़ीस्त में दिलदार की तरह
झूठे थे उनके वादे जो पूरे नहीं हुए
लेकिन वो हुक्म देते हैं सरकार की तरह
नागिन बनी हैं जुल्फ़ें भी डसती हैं रात-दिन
नैनों के तीर चलते हैं तलवार की तरह
क़ाइल भी सादगी के, अदा से हमें लगाव
हर गाम पर मिलेंगे वफ़ादार की तरह
अब हुस्न-ए-यार में वो कशिश ही नहीं रही
हालात ने बना दिया बीमार की तरह
'मीना' तो है रद़ीफ मगर क़ाफ़िया हैं आप
अपना वज़ूद गोया है अशआर की तरह
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