ऐसा सबके साथ अक़्सर होता है
दिल में अनजाना सा इक डर होता है
ज़िन्दगी से कोई शश्दर होता है
सरकशी में कोई ख़ुदसर होता है
चार दिन की ज़िन्दगी है ये मगर
ख़्वाहिशों का लाव-लश्कर होता है
है तमन्ना हँस के गुज़रे ज़िन्दगी
क्योंकि ग़म का दौर दूभर होता है
जीना है तो मौत से डरना ही क्यों
जो नहीं डरता सिकंदर होता है
जिसने समझी हो फ़क़त रूहानियत
इक वही इंसान बेहतर होता है
बस जियो ज़िन्दादिली से ज़िन्दगी
मौत का दिन तो मुकर्रर होता है
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