मोहब्बत की झलक समझे न समझे
दिल-ए-नादाँ सबक़ समझे न समझे
यूँ ग़र्क़-ए-आब तक समझे न समझे
फ़लक मौज-ए-शफ़क़ समझे न समझे
क़दम जो लड़खड़ाए गर्दिशों में
शराबी है सड़क समझे न समझे
जिसे हो रश्क उस महताब से वो
सितारों की झिझक समझे न समझे
न माँगो हक़ सियासी नेवलों से
बड़े बेहिस हैं हक़ समझे न समझे
ग़म-ए-फ़ुर्क़त का क्या रोना है 'आमिर'
जो अश्कों की चमक समझे न समझे
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