उम्र भर की मेरी कमाई हो
पास आ हिज्र रिहाई हो
तू कोई तो दवा बता ऐसी
ज़ख़्म की जो मिरे दवाई हो
ज़िन्दगी भर ही ज़ख़्म झेले हैं
ज़ख़्म से काश अब जुदाई हो
शोहरतें क्यों नहीं मिलेंगी मुझे
हर तरफ़ मेरी भी बुराई हो
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
काश इस बह्र में रुबाई हो
एक पल भी बता मुझे ऐसा
जब 'ज़फ़र' ने ख़ुशी मनाई हो
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