कहा था ये उसने है दलदल उदासी
उसी से मिली फिर मुसलसल उदासी
मोहब्बत की खुशियाँ है उसके हवाले
मेरे हिस्से आई मुक़म्मल उदासी
तब्बसुम मेरे लब पे सिसकी है मेरी
मेरी उजड़ी आँखों का काजल उदासी
किया इश्क़ तो फिर कफ़ारा नहीं कुछ
मोहब्बत के मारो का है हल उदासी
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