Meena Bhatt

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@meenabhatt18547

Meena Bhatt shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Meena Bhatt's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
कभी चेहरा बदलता है कभी लहजा बदलता है
तरक़्क़ी के लिए बैठा बशर कांधा बदलता है

हज़ारों मुश्किलें आतीं घरौंदे टूट भी जाएँ
वतन पर जान देने का कहाँ ज़ज़्बा बदलता है

नहीं बाज़ार में बिकती न मिलती है विरासत में
तू क्यों तहज़ीब पाने को भला शजरा बदलता है

मुसलसल ज़ुल्म होते हैं ग़रीबों पर यहाँ तो बस
भले सरकार बदले भाग्य कब उनका बदलता है

दर-ओ-दीवार भी इक दिन यक़ीनन बँट ही जाएँगे
बदल जाए हर इक शय रिश्तों का क़िस्सा बदलता है

रहेगा साथ भी मर के जुदा तुझसे न होगा वो
फ़क़त मर के यहाँ इंसान ये चोला बदलता है

नया है दौर और देखो नया माहौल है सारा
बदल ख़ुद को भी तू चलता हुआ सिक्का बदलता है

बुलंदी पर रहो करती दुआ है बस यही 'मीना'
कभी मग़रूर मत होना समय सबका बदलता है
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Meena Bhatt
कभी चेहरा बदलता है कभी लहजा बदलता है
तरक़्क़ी के लिए बैठा बशर कांधा बदलता है

हज़ारों मुश्किलें आतीं घरौंदे टूट भी जाऍं
वतन पर जान देने का कहाँ जज़्बा बदलता है

नहीं बाज़ार में बिकती न मिलती है विरासत में
तू क्यों तहज़ीब पाने को भला शजरा बदलता है

मुसलसल ज़ुल्म होते हैं ग़रीबों पर यहाँ तो बस
भले सरकार बदले भाग्य कब उनका बदलता है

दर-ओ-दीवार भी इक दिन यक़ीनन बँट ही जाऍंगे
बदल जाए हर इक शय रिश्तों का क़िस्सा बदलता है

रहेगा साथ भी मरके जुदा तुझसे न होगा वो
फ़क़त मर के यहाँ इंसान ये चोला बदलता है

नया है दौर और देखो नया माहौल है सारा
बदल ख़ुद को भी तू चलता हुआ सिक्का बदलता है

बुलंदी पर रहो करती दुआ है बस यही मीना
कभी मग़रूर मत होना समय सबका बदलता है
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Meena Bhatt
क़ैद हों जिसमें परिंदे मैं वो पिंजरा न रहूँ
ओढ़ कर चेहरे पे कोई भी मुखौटा न रहूँ

चाहे सागर सा बड़ा और कुशादा न रहूँ
बस तबाही का किसी की भी मैं जरिया न रहूँ

भीड़ पीछे चले ऐसा रहे किरदार अपना
मेरे मालिक मैं किसी भीड़ का हिस्सा न रहूँ

ऐ ख़ुदा इश्क़ मेरा तू ही मुकम्मल करना
प्यार का कोई अधूरा सा मैं क़िस्सा न रहूँ

दोनों हाथों से लुटाऊँ मुझे इतना दे दे
होके मुहताज लिए हाथ में कासा न रहूँ

राज दिल पर करूँ मैं सारे ज़माने के ही
मैं किसी की भी रियासत का पियादा न रहूंँ

भूल जाऊँ न कहीं जग को तेरी चाहत में
तेरी ज़ुल्फ़ों में सनम इतना भी उलझा न रहूंँ

ज़ीनत-ए-अहले सुख़न मीना बने है ये दुआ
बनके मिसरा कभी मैं कोई तो तन्हा न रहूँ
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Meena Bhatt
गुलज़ार दिल का है चमन ऐसा हसीं चेहरा तेरा
ता-उम्र भूलेंगे न हम ये प्यार का जज़्बा तेरा

तुझको मुबारक हो ये शोहरत और ये लाल-ओ-गुहर
तुझसे ही रौनक़ शहर में चलता यहाँ सिक्का तेरा

मेरे क़दम बढ़ते गए तन्हा ही मंज़िल की तरफ़
तेरी क़सम है याद मुझको आज भी रस्ता तेरा

नाम-ओ-निशाँ कानून का अब मुल्क में कुछ भी नहीं
ख़ामोश हैं सब लोग ही कुर्सी अजब क़िस्सा तेरा

इस प्यार में तो बारहा हमको फ़क़त धोके मिले
हमने हिफ़ाज़त से रखा लेकिन हर इक तोहफ़ा तेरा

दिल की ज़मीं वीराँ हुई अब झाँकता कोई नहीं
पत्थर हुए हम तो सनम अब है जुदा साया तेरा

सब लौट आएँगे तुझे दफ़्ना के भी तो एक दिन
बेदर्द इस दुनिया में है कोई नहीं 'मीना' तेरा
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Meena Bhatt
नहीं चाँदी में रहती है न वो सोने में रहती है
वो दिलकश चाँदनी इस क़ल्ब के टुकड़े में रहती है

ये दौलत क्यों सदा ज़रदार के हिस्से में रहती है
ग़रीबी क्यों भला हम जैसों के खाते में रहती है

शराफ़त नाम की भी आजकल ढूँढे नहीं मिलती
यहाँ तहज़ीब सारी ही फ़क़त शजरे में रहती है

अज़ल से प्यार का दुश्मन रहा है ये ज़माना क्यों
मोहब्बत भी हमेशा इसलिए चर्चे में रहती है

कभी घबरा न तू नाकामियों से ज़ीस्त की अपनी
छुपी ये क़ामयाबी तो इसी मलबे में रहती है

बहकती ये जवानी मुफ़्त में देती है जाँ अपनी
ख़राबी बस यही तो इश्क़ के नश्शे में रहती है

यहाँ दहशत है नफ़रत भी नहीं महफ़ूज़ है 'मीना'
हमारी ज़ीस्त हर पल क्यों यहाँ ख़तरे में रहती है
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ये दौलत क्यों सदा ज़रदार के हिस्से में रहती है
ग़रीबी क्यों भला हम जैसों के खाते में रहती है

न वो चाँदी में रहती है न ही सोने में रहती है
ग़रीबी क्यों भला हम जैसों के खाते में रहती है

शराफ़त नाम की भी आजकल ढूँढे नहीं मिलती
यहाँ तहज़ीब सारी ही फ़क़त शजरे में रहती है

अज़ल से प्यार का दुश्मन रहा है ये ज़माना क्यों
मोहब्बत भी हमेशा इसलिए चर्चे में रहती है

बहकती है जवानी मुफ़्त में देती है जाँ अपनी
ख़राबी बस यही तो इश्क़ के नश्शे में रहती है

कभी घबरा न तू नाकामियों से ज़ीस्त की अपनी
छुपी ये क़ामयाबी तो इसी मलबे में रहती है

कहाँ महफ़ूज है कोई यहाँ दहशत के आलम में
हमारी ज़ीस्त हर पल क्यों यहाँ ख़तरे में रहती है
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