हो अगर खिड़की कबूतर के बिना
या'नी वो लड़की है ज़ेवर के बिना
उसकी शादी होने पर भी चाहेगी
ज़िंदगी जी लेगी शौहर के बिना
पूछा ग़ुर्बत कितना और उसने कहा
बनता है क्या रस्ता पत्थर के बिना
इश्क़ के पाँसे बिखर जायेंगे गर
डाले सब तस्वीर फ़िल्टर के बिना
इसलिए बनवाया है दर क़ब्र पे
वो नहीं रह सकती पैकर के बिना
आरज़ू ये कैसी है सौरभ तेरी
साल होगा क्या दिसंबर के बिना
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