पुराने दिनों की कहानी लिखी थी - Amaan Pathan

पुराने दिनों की कहानी लिखी थी
तिरी नज़्म अपनी बयानी लिखी थी

ये मय-ख़ाने में बैठ अफ़सोस अब क्यूँ
तिरे हिस्से भी तो जवानी लिखी थी

किताब-ए-मुक़द्दर में राँझा दिवाना
मगर हीर बेहद सयानी लिखी थी

भरोसा बहुत है ये कहते थे मुझ से
नज़र में मगर बद-गु़मानी लिखी थी

‘अमान’ और भी तो थे दुनिया में फिर क्यूँ
मिरे हिस्से ही पासबानी लिखी थी

- Amaan Pathan
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