कल तक तो बादशा थे अब राख-दान हो तुम
हाकिम नहीं हो दिल के बस पासबान हो तुम
जब तेज़ हों हवायें तुम ख़ुद को थाम लेना
जो रेत पर टिका है ऐसा मकान हो तुम
क्यूँ हिज्र के सभी को क़िस्से सुना रहे हो
ग़म बेचते हो सब को ग़म की दुकान हो तुम
सर से टपकने दो तुम अब ख़ून की ये बूँदें
ज़ुल्मों से डर गये तो कैसे पठान हो तुम
अन्दर तुम अपने झाँको ख़ुद में ख़ुदा को ढूँढो
तुम चाँद की तो छोड़ो ख़ुद आसमान हो तुम
ग़म मत करो किसी का जो भी गया गया वो
मम्मी के दिल के टुकड़े पापा की जान हो तुम
इक दिन हुआ फिर ऐसा मुझसे कहा ख़ुदा ने
अब तक अमान में थे अब से अमान हो तुम
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