इन हसीनों को दिल दिया होता
कोई तुझसा हमें दिखा होता
नाम उसका अगर ख़ुदा होता
तेरे आगे भी मैं झुका होता
मेरे घर की घड़ी पुरानी है
शोर यादों का भी बड़ा होता
तुम समुंदर को छोड़ आए हो
उसको आँखों में भर लिया होता
जो किताबें पढ़ीं नहीं होती
ये कलम ज़ो'म से चला होता
जा चुका था जो जाने से पहले
जाने के बाद तो जुदा होता
रंग ख़ामोश थे सभी मेरे
रंग काला न जो भरा होता
जो मेरा दस्तरस मिटा सकता
जाम मुझको वो ही दिया होता
था सही कोई था ग़लत कोई
कोई अपना हमें मिला होता
गाँव में जो सड़क बनी होती
घर न खंडर कभी बना होता
जान दे कर बुलाया था तुझको
जान कर ये तो रो लिया होता
रोज़ ये रात नोचती उसको
बस ग्राहक कोई नया होता
तेरा तिनका मुझे बचा लेता
और फ़िर उम्र भर चुभा होता
शाम उस रोज़ बस नहीं होती
उम्र भर साथ तू रहा होता
है जुदाई नशा मोहब्बत का
जो न चढ़ता तो फिर गिला होता
ख़ैरियत पूछ कर गया है वो
जो न जाता तो सब भला होता
जिस तरह याद कर रहा है तू
मैं न मरता तो मर गया होता
जो मिले रोज़ वो बुरी आदत
जो मिले कम वो ही दवा होता
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