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दूर हमसे कही और जाते हुए - Govind kumar

दूर हमसे कही और जाते हुए
वो लगा हँसने चेहरा छुपाते हुए

तितलियां कह रही हैं हवाओं से ये
ख़ुश्बू लाना किसी गुल से आते हुए

हमने भी कर लिए सब से रिश्ते बुरे
एक लड़की को अपना बनाते हुए

हमको उनसे मुहब्बत हुई क्या करें
जो तरस भी न खाएं सताते हुए

वो मिरी हाथ की उन लकीरों में था
मिट गई है जो घर को बनाते हुए

मैं उसे कैसे समझाऊँ ये बात अब
आँख थक जाती है ग़म छुपाते हुए

उसको लगता तो है चाँद प्यारा बहुत
हाँ मग़र अपने कद को घटाते हुए

एक ही ज़िन्दगी तो मिली है हमें
बीत जानी है ये भी मनाते हुए

- Govind kumar

Khushboo Shayari

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