दोस्ती जब सवाल बनती है
ज़िंदगी तब मुहाल बनती है
दूर ख़ुद से हुए जो हम यारो
ये ख़बर ला-ज़वाल बनती है
रोशनी तो ये तम चुराती सब
तब यहाँ वो जमाल बनती है
दोस्ती से फ़क़त ये दुनिया अब
मानो हुस्न-ओ-जमाल बनती है
राब्ता देखकर मिरा उसका
सब ज़ुबाँ बे-सवाल बनती है
धड़कनों में बसी है जो लड़की
वो फ़क़ीद-उल-मिसाल बनती है
प्यार के बिन ये ज़िंदगी सबकी
सो ललित बस मुहाल बनती है
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