दोस्ती जब सवाल बनती है

  - Lalit Mohan Joshi

दोस्ती जब सवाल बनती है
ज़िंदगी तब मुहाल बनती है

दूर ख़ुद से हुए जो हम यारो
ये ख़बर ला-ज़वाल बनती है

रोशनी तो ये तम चुराती सब
तब यहाँ वो जमाल बनती है

दोस्ती से फ़क़त ये दुनिया अब
मानो हुस्न-ओ-जमाल बनती है

राब्ता देखकर मिरा उसका
सब ज़ुबाँ बे-सवाल बनती है

धड़कनों में बसी है जो लड़की
वो फ़क़ीद-उल-मिसाल बनती है

प्यार के बिन ये ज़िंदगी सबकी
सो ललित बस मुहाल बनती है

  - Lalit Mohan Joshi

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