रस्ते भले लम्बे चुनूँगा मैं
पर ख़्वाब मनचाहे बुनूँगा मैं
मैं बातें लोगों की नहीं सुनता
पर तेरी गाली भी सुनूँगा मैं
अब तू भले चुन ले किसी को भी
पर हर दफ़ा तुझको चुनूँगा मैं
As you were reading Shayari by Manoj Devdutt
our suggestion based on Manoj Devdutt
As you were reading undefined Shayari