hamein mil rahe aaj paighaam kya kya
diye ja rahe hain vo ilzaam kya kya
kisi shah ki jo uchaali hai izzat
batao kahegi ye aawaam kya kya
wafa jo nibhaai to kahte hain mujhko
ye jaahil ye paagal ye dushnaam kya kya
hamein baant kar vo hamein kah rahe hain
ye hindu ye eesa ye islaam kya kya
ye shohrat ye rutba ye jaageer ye ghar
yahan ho gaya aaj neelaam kya kya
हमें मिल रहे आज पैग़ाम क्या क्या
दिए जा रहे हैं वो इल्ज़ाम क्या क्या
किसी शाह की जो उछाली है इज़्ज़त
बताओ कहेगी ये आवाम क्या क्या
वफ़ा जो निभाई तो कहते हैं मुझको
ये जाहिल, ये पागल, ये दुश्नाम क्या क्या
हमें बाँट कर वो हमें कह रहे हैं
ये हिन्दू, ये ईसा, ये इस्लाम क्या क्या
ये शोहरत, ये रुतबा, ये जागीर, ये घर
यहाँ हो गया आज नीलाम क्या क्या
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