हैं कई एहसान फिर इस बार मैं क्यूँ कर्ज़े में हूँ
आप से इतना लिया है प्यार मैं क्यूँ कर्ज़े में हूँ
ख़्वाब भी गुल भी मददगारी ये दिल जान-ए-जहाँ भी
सब तो हैं इस जेब में फिर यार मैं क्यूँ कर्ज़े में हूँ
As you were reading Shayari by Hardik Jaiswal
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