गेसुओं ने साज़िश की

  - Shajar Abbas

गेसुओं ने साज़िश की
बादलों ने बारिश की

क़ल्ब ने गुज़ारिश की
हमने उनकी ख़्वाहिश की

मुझको भूल जाने की
उसने पूरी कोशिश की

आज हमने महफ़िल में
हुस्न की नुमाइश की

मुझको मेरे अपनों ने
मारने की साज़िश की

उसकी आख़िरी चिट्ठी
आज नज़्र-ए-आतिश की

लेके बोसा माथे का
दिल से दूर रंजिश की

कोहकन की जैसे ही
आज हमने काविश की

हैफ़ क़ैद-ख़ानों को
है तमन्ना ताबिश की

उम्र भर शजर रखना
आस रब से बख़्शिश की

  - Shajar Abbas

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