हक़ में उसके शजर दुआ कर के
ख़ुद को देखेंगे बा-वफ़ा कर के
छोड़ आए हैं हम ख़ुदा की क़सम
ख़ुद को महफ़िल में ले तेरा कर के
उसने आँखों को अपनी मूँद लिया
जाम थोड़ा हमें पिला कर के
ज़ुल्फ़ में नौजवाँ उलझते हैं
ज़ुल्फ़ निकला करो बना कर के
मैंने अब तक ख़ुदा नहीं देखा
उसको देखूँगा अब ख़ुदा कर के
तुझको तस्वीर में बनाता हूँ
रोज़ काग़ज़ पे बा-रिदा कर के
हमने गुलशन में गुल नहीं चूमाँ
रह गये भँवरों की हया कर के
तुमको मिल जाएगा जहाँ सारा
ख़ुद को देखो सनम मेरा कर के
ऐ दग़ाबाज़ ये बता तू मुझे
क्या मिला है तुझे दग़ा कर के
दिल मेरा रह गया वहीं पे शजर
लौट आया मैं करबला कर के
पूछता है शजर से क़ल्ब-ए-हज़ी
क्या मिला दर्द की दवा कर के
Read Full