जिसको तू कहता है थोड़ा पागल है
पागल वो सारे का सारा पागल है
कितना प्यारा कितना अच्छा लगता है
पागल तेरा मुझसे कहना पागल है
फूल हमेशा लब से चूमें जाते हैं
तूने शाख़ से फूल क्यों तोड़ा पागल है
मैं लैला तेरी बनने को राज़ी हूँ
तू गर इश्क़ में क़ैस के जैसा पागल है
पागल सारे पागल मुझको कहते हैं
मुझको ये लगता है दुनिया पागल है
रोज़ वो उसके हुस्न पे ग़ज़लें लिखता है
देखो यार वो लड़का कितना पागल है
पागल से इक पागल हँस के पूछे है
मैं अच्छा हूँ या तू अच्छा पागल है
यार गली में तन्हा नहीं हैं पागल वो
उसकी गली का बच्चा बच्चा पागल है
जो पागल को पागल कहते डरता है
सच बतलाऊँ मैं वो बन्दा पागल है
हीर की ख़ातिर जैसे राँझा पागल था
मेरी ख़ातिर आज वो ऐसा पागल है
देख के मुझको सखियों से वो कहती है
उसको मत देखो वो लड़का पागल है
जिस दरिया से होकर कल तू गुज़री थी
देख लेके आ के आज वो दरिया पागल है
यार शजर तो अच्छा ख़ासा लगता है
तूने ऐसा कैसे बोला पागल है
पूछ रही थी यार शजर ये कैसा है
मैंने उससे बस ये बोला पागल है
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