क्या कहा आप कहना ज़रा इश्क़ है
जी हमें आपसे इश्क़ था इश्क़ है
लोग कहते हैं वाइज़ बला इश्क़ है
हम ये कहते हैं रब की अता इश्क़ है
इश्क़ को जो मिटाते थे ख़ुद मिट गए
देख लो आज भी जा-ब-जा इश्क़ है
चंद लफ़्ज़ों में लो कह दिया आपसे
नासेहा दिलरुबा मुहलिका इश्क़ है
हम हैं आशिक़ हमें मत दो कोई दवा
चारा-साज़ों हमारी दवा इश्क़ है
याद रखना सदा अपने महबूब की
याद में रात भर जागना इश्क़ है
है किसी के लिए इश्क़ उसका ख़ुदा
और किसी के लिए बस ख़ुदा इश्क़ है
सिर्फ़ मेरे लबों की नहीं है दुआ
हर किसी के लबों की दुआ इश्क़ है
बे वफ़ा उम्र भर बे वफ़ा ही रहे
लाख समझाया रब की रज़ा इश्क़ है
रोज़ जाकर चमन में शजर शाम को
फूल की पत्तियाँ चूमना इश्क़ है
है हक़ीक़त मेरी ज़िंदगी की शजर
इब्तिदा इश्क़ है इंतिहा इश्क़ है
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