मौत ने फ़ुरसत निकाली है अभी
ग़म से राहत मिलने वाली है अभी
जो दिलाई थी किताबें बेच कर
उसके कानों में वो बाली है अभी
कल वो हो जाएगी इक बाज़-ए-वक़ार
ख़्वार की चिड़िया जो पाली है अभी
आके वो ज़ख़्मों से दिल भर जाएगा
लाख बेहतर है कि ख़ाली है अभी
आओ यारो तुम भी थोड़ा ज़ोर दो
इश्क़ की गर्दन दबा ली है अभी
दाग़ बनने में अभी कुछ वक़्त है
मैंने जो उम्मीद पाली है अभी
मिल गया इक शख़्स मुझसा हू-ब-हू
जिस्म की ख़ल्वत खँगाली है अभी
अब नहीं कुछ हाजते-दारो-रसन
राह इक ऐसी निकाली है अभी
इन थके हाथों की जुंबिश कह रही
मेरे हिस्से में भी ताली है अभी
कल वो फिर कोई बहाने आएगी
चरासाजी से जो टाली है अभी
चाहिए हर रंग की बेगम मुझे
वैसे गोरी और काली है अभी
जल रहे हैं सोज़िश-ए-मंज़र से पाँव
गो 'सफ़र' सारा ख़याली है अभी
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