तिरा फ़िराक़ कि हाथों में जाम लेते हैं

  - Suraj kumar 'mayank'

तिरा फ़िराक़ कि हाथों में जाम लेते हैं
वगरना लोग शरीफ़ों में नाम लेते हैं

नदी मिले तो जरा तिश्नगी छुपाना भी
ज़हीन लोग तसल्ली से काम लेते हैं

जफ़ा ने छीन ली है यार मेरी बीनाई
कोई भी हाथ सर-ए-राह थाम लेते हैं

कहाँ तू रहता है ऐ चाँद पूरे दिन-दिन भर
तेरा हिसाब किसी एक शाम लेते हैं

किसी से दोस्ती रक्खें कि दुश्मनी 'सूरज'
तमाम उम्र हमारा ही नाम लेते हैं

  - Suraj kumar 'mayank'

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