हम-दिली में भी लड़ाई की ज़रूरत क्या है - Suraj kumar 'mayank'

हम-दिली में भी लड़ाई की ज़रूरत क्या है
ज़ख़्म नेमत है दवाई की ज़रूरत क्या है

सर्द मौसम में मुझे ख़ुद से लपेटा उसने
बदला मौसम तो रज़ाई की ज़रूरत क्या है

ऐसे जेलों में कटे ज़िन्दगी तो ग़म ही क्या
तेरी बाहों से रिहाई की ज़रूरत क्या है

झूठ सच क्या है सभी ऐब भी जानूँ मैं तो
आ यहाँ बैठ सफ़ाई की ज़रूरत क्या है

जिसके हाथों की लकीरों में रहे तू सूरज
उसके हाथों में हिनाई की ज़रूरत क्या है

- Suraj kumar 'mayank'
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