इश्क़ में जान का नुक़सान बहुत होता है
फिर भी दिल रोज़ परेशान बहुत होता है
क़ैद रक्खा है मुझे और कहा ये है फिर
साँस लेने को हवादान बहुत होता है
कुछ मिला तो है नहीं ज़ख़्म हरे करने को
यार ज़ख़्मों को नमकदान बहुत होता है
बेच कर जिस्म कमाई है वफ़ा उसने तो
इक तवाइफ़ पे भी ईमान बहुत होता है
आज आवाज़ लगाई है मुझे ही उसने
'सैफ़' इस बात पे हैरान बहुत होता है
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