बेवफ़ा हुस्न वफादार नहीं हो सकता
लोग कहते हैं तुझे प्यार नहीं हो सकता
झूठ तो बोल रहा है तू जहाँ में सबसे
झूठ से भी तू असरदार नहीं हो सकता
रूह दूजा किसी का जिस्म नहीं ले सकती
जिस्म इसका तू गुनहगार नहीं हो सकता
आज कुछ फूल ख़रीदे हैं शराबी ने भी
बस वाइज़ ही तो ख़रीदार नहीं हो सकता
एक वो था जो मुझे ज़हर पिला सकता था
'सैफ़' वो शख़्स मददगार नहीं हो सकता
As you were reading Shayari by Zohaan Saif
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