प्यार में जिस्म को यकसर न मिटा जाने दे !
कुर्बत-ए-लम्स को गाली ना बना जाने दे !!
तू जो हर रोज़ नए हुस्न पे मर जाता है !
तू बताएगा मुझे 'इश्क़ है क्या'? जाने दे !!
चाय पीते हैं कहीं बैठ के दोनों भाई !
जा चुकी है ना तो बस छोड़ चल आ जाने दे !!
As you were reading Shayari by Ali Zaryoun
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