तमन्नाएँ मिरे दिल की अधूरी रह गई हैं क्यों
न अपने आज अपने हैं तो बेगाने कई हैं क्यों
कई हसरत लिए सब लोग फिरते हैं मचलते हैं
अधूरे ख़्वाब हैं सब के ये दीवारें नई हैं क्यों
कभी हम सोचते हैं ख़ुद को बहलाने कहाँ जाए
कहीं दामन नहीं मिलता ये अफ़साने कई हैं क्यों
अभी तो ज़ख़्म भरने हैं अभी तो रात बाक़ी है
अभी दिन ज़िंदगी में दुख भरे आने कई हैं क्यों
समाँ बदले या हम बदले न वो कहते न हम कहते
तो ख़ुद को कैसे समझाए कि जाने मुद्दई हैं क्यों
मिरे दिल में मोहब्बत है किसी को चाहिए क्यूँकर
हमेशा तौलता इंसान पैमाने कई हैं क्यों
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