मेरी सच्चाई को देखो तुम्हारे ख़्वाब देखेंगे
न हम बोली को देखेंगे नहीं आदाब देखेंगे
तुम्हारे घर से जाने की तमन्ना भी अमल होगी
तेरे कमरे में बैठे हम तेरा अस्बाब देखेंगे
वो मुझसे पूछती है क्या करेंगे रात भर जानाॅं
मैं उससे बोलता हूँ कुछ नहीं महताब देखेंगे
हमेशा मैं ही पागल हूँ बना फिरता तेरे पीछे
न जाने किस घड़ी में हम तुझे बेताब देखेंगे
कहाँ हमसे दुआ होगी कहाँ नौहे पढ़ूँगा मैं
तुम्हें सब माँग लेंगे हम खड़े मेहराब देखेंगे
मुझे तो फ़ख़्र मैं मुझपे जो मैं सब देख पाया हूँ
मोहब्बत में न लड़के अब तेरा तेज़ाब देखेंगे
अगर दुनिया ये कल को डूबती है तुम चले आना
मेरी खिड़की से बैठे साथ में सैलाब देखेंगे
ज़रा यश देखना तुम भीड़ पागल नौजवानों की
ये लड़के इश्क़ के प्यासे कहाँ ज़हराब देखेंगे
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