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तुझे मेरी मोहब्बत पे ऐतबार हो जाना - Bhavesh kumar

तुझे मेरी मोहब्बत पे ऐतबार हो जाना
मुमकिन नहीं है गधे का समझदार हो जाना

बर्बादियों की नज़रों में हम यूँ खटकते है जैसे
किसी भाई की दौलत में हिस्सेदार हो जाना

निकल पड़ते है दबे पावँ मोहब्बत की बू आने पर
सालों का तजुर्बा है मेरा होशियार हो जाना

निकले हो इश्क़ की गलियों में और डरते भी हो
मियां आम सा मसला है यहाँ बीमार हो जाना

दुनिया में जीने को ये हुनर सीखना जरूरी है
उसे खबरदार कर देना खुद तलवार हो जाना

- Bhavesh kumar

Duniya Shayari

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