हलाहल से मिलाना चाहता हूॅं

  - Bhuwan Singh

हलाहल से मिलाना चाहता हूॅं
तुम्हें दर्पण दिखाना चाहता हूॅं

धुआँ भर जाएगा कमरे में मेरे
मैं अपना दिल जलाना चाहता हूॅं

मुझे फ़ुर्सत नहीं ख़ुद के लिए क्यों
मैं ऐसा क्या कमाना चाहता हूॅं

तभी तो देखना पड़ता है सूरज
नम आँखों को सुखाना चाहता हूॅं

तुम्हें मुझ सा ही करवाना है महसूस
मैं तुमको याद आना चाहता हूॅं

  - Bhuwan Singh

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