ज़िंदगी ऐसे हमे जीना पड़े है
मौत जिसमें एक तोहफ़ा सा लगे है
और रहा जाता नहीं हमसे यहाँ पर
और यहीं पर जाँ हमारे पा गड़े है
हाथ जोड़े है तू जिसके सामने जाँ
वो भरी महफ़िल हमारे पा पड़े है
है वो सारे शहर में बदनाम फिर भी
जान तू उसको भरी महफिल छुए है
मैं तो मुझको ब्रज बहुत ख़ुश ही लगू हूँ
तुझको क्यों मुझ में उदासी सी लगे है
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