सुखों की बेशक़ीमत खान सेवा
नबी का है हमें वरदान सेवा
उठा दे सेवा में गर तिनका कोई
करें उसका भी ये कल्यान सेवा
कोई चाहत न रत्ती भर हो जिसमें
गुरु को हो वो ही परवान सेवा
किसी पर रीझ जाए राहबर तो
ख़ुशी में दे उसे फिर दान सेवा
सुकूँ ता-उम्र जीवन में है उसके
लगाकर जिसने की हो ध्यान सेवा
गिराकर बे-मआनी को ये दिलबर
बनाती पुख़्ता है ईमान सेवा
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