वो मेरे ख़्वाब में आकर गले से जब लगाती है

  - Saagar Singh Rajput

वो मेरे ख़्वाब में आकर गले से जब लगाती है
उसे वापस भी जाना है वो अक्सर भूल जाती है

मुक़ाबिल चाँद भी उसके ज़रा फ़ीका सा लगता है
वो जब गोरे से माथे पर हरी बिन्दी लगाती है

बहारें आँख भर कर देखती हैं उसके जलवे को
पलट कर मुस्कुरा के जब भी वो फोटो खिंचाती है

जलन से लाल पीले फूल हो जाते हैं बाग़ों के
मिरी जाँ जब कभी बाग़ों में जाकर मुस्कुराती है

परी का रूप है धरती में वो सबसे हसीं लड़की
मिरे दिल को मिरी धड़कन मिरे यारो बताती है

कमी उसमें अगर है कुछ तो बस इतनी सी है यारो
वो 'सागर' को न जाने क्यूँ नहीं अपना बनाती है

  - Saagar Singh Rajput

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