मैं हूँ दुनिया का सबसे भला आदमी
तो मुझे तुम न कहना बुरा आदमी
बात कितनी भी अच्छी बताओ इसे
बात सुनता नहीं आज का आदमी
ज़िंदगी कुछ नहीं मोह माया है बस
जान कर भी नहीं मानता आदमी
तुम मुहब्बत से मुझको अगर देख लो
मैं भी बन जाऊँगा इक बड़ा आदमी
वक़्त मेरा ज़रा सा बुरा क्या हुआ
आँख मुझको दिखाने लगा आदमी
वक़्त का साथ मुझको अगर मिल गया
मैं बताऊँगा होता है क्या आदमी
हार रावण की हमको सिखाती है ये
दुश्मनों से नहीं हारता आदमी
बात 'सागर' की सच्ची है सौ फ़ीसदी
मुफ़्लिसी में मरेगा भला आदमी
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