सभी का है वो बस हमारा नहीं
यही बात दिल को गवारा नहीं
मुहब्बत ने मेरी है मारा मुझे
मुझे मौत ने मेरी मारा नहीं
मैं ख़ुद ही करूँगा करूँगा जो भी
मुझे अब किसी का सहारा नहीं
मिरे वक़्त पे है भरोसा मुझे
ये मेरा करेगा ख़सारा नहीं
ख़ुदा को नहीं मानता शख़्स जो
उसे भी ख़ुदा ने बिसारा नहीं
रक़ीबो सुनो ध्यान से बात तुम
हमारा है अब वो तुम्हारा नहीं
मुझे चाहिए अब नई ज़िंदगी
पुरानी में होगा गुज़ारा नहीं
मुझे इश्क़ उस से है बे-हद मगर
उसे मैं ज़रा सा भी प्यारा नहीं
सहे दर्द मैं ने बड़े प्यार से
मदद को किसी को पुकारा नहीं
ये माना कि शादी नहीं मैं ने की
मगर मैं मरूँगा कँवारा नहीं
मैं 'सागर' हूँ क्या इस लिए ही मुझे
कभी भी मिलेगा किनारा नहीं
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