कुछ न कहेंगे हम भी तेरे कहने तक
चुप ही रहेंगे तेरे भी चुप रहने तक
तेरे ज़ुल्म सहेंगे चाहे मर जाऍं
उफ़ न करेंगे आँख से दरिया बहने तक
बस्ती बस्ती घूमेंगे घर ढूॅंढ़ेंगे
रह जाऍंगे शहर में तेरे रहने तक
चाहे जैसा हाल हो अपना क्या ग़म है
प्यार करेंगे तुझको तेरे कहने तक
ये तेरा शफ़्फ़ाफ़ बदन सब फीके हैं
चाँद सितारे लाली सुरमा गहने तक
तुझसे मिलकर उम्र गँवाऍंगे अपनी
सह लेंगे फिर हिज्र भी तेरा सहने तक
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