आंखों को सपना फिर दिखाया जायगा - Nilesh Barai

आंखों को सपना फिर दिखाया जायगा
फ़िर से किसी सच को छुपाया जायगा।

ये हब्स है कैसा है क्या है क्या पता
अब मौत पर नक्शा बनाया जायगा।

दाखिल हुआ हूँ मैं भी तेरे ख़्याल में
मेरा भी अब हर ख़्याल ज़ाया जायगा।

अब इश्क़ भी डर के करेगी हर गली
उसका भी इक क़ातिल है जो आ जायगा।

ऐ हज़रत - ए - दिल देख ले ये माजरा
तुझसे नही ही कुछ बताया जायगा।

जब तक रहेंगे आइने-खाने में हम
हमको हमीं से ढूंढ़वाया जायगा।

हम बे- सर- ओ -सामान बनके रह गए
ईमाँ बचा है जो चुराया जायगा।

ये गर्दिश - ए - दौरां करेगी क्या मिरा
कल तक इसे भी आजमाया जायगा।

- Nilesh Barai
0 Likes

More by Nilesh Barai

As you were reading Shayari by Nilesh Barai

Similar Writers

our suggestion based on Nilesh Barai

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari