तरह तरह से मिरा दिल बढ़ाया जाता है
मगर कहे से कहीं मुस्कुराया जाता है
अभी मैं सोच रहा था कि कुछ कहूँ तुझ से
कि देखता हूँ तिरा घर सजाया जाता है
गुनाहगारों में बैठे तो इंकिशाफ़ हुआ
ख़ुदा से अब भी बहुत ख़ौफ़ खाया जाता है
नए नए वो अदाकार जानते ही न थे
कि पर्दा गिरते ही सब भूल जाया जाता है
तवक़्क़ुआत का यूँ भी ख़याल रखता हूँ
बड़े यक़ीं से मुझे आज़माया जाता है
तमाम उम्र मिलाई जुनूँ की ताल से ताल
ये गीत सब से कहाँ गुनगुनाया जाता है
अब इस तरह की मोहब्बत कभी न हो शायद
कि दरमियाँ में कहीं जिस्म आया जाता है
समझ में आए न आए ये कुछ हुआ है ज़रूर
यक़ीं जो तुझ पे मिरा डगमगाया जाता है
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