तेरी तस्वीर देख लेता हूँ

  - Sohil Barelvi

तेरी तस्वीर देख लेता हूँ
अपनी तक़दीर देख लेता हूँ

क़ैद-ख़ानों की याद आती है
जब भी ज़ंजीर देख लेता हूँ

भूल जाता हूँ ख़ुद को जब भी मैं
तेरी तहरीर देख लेता हूँ

सुब्ह भी शायराना लगती है
ख़्वाब में मीर देख लेता हूँ

ख़्वाब पूरे नहीं जो हो पाए
उन की ताबीर देख लेता हूँ

आप भी चल दिए यहाँ से अब
मैं भी तदबीर देख लेता हूँ

आज भी टोकता हूँ ख़ुद को मैं
जब भी तक़्सीर देख लेता हूँ

  - Sohil Barelvi

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