किसी को कैसे गले लगाऊँ उदास हूँ मैं
कोई नहीं है जिसे बताऊँ उदास हूँ मैं
मेरे जिगर में तमाम दुख हैं तमाम ग़म हैं
ख़ुशी को चेहरे पे कैसे लाऊँ उदास हूँ मैं
तुम्हारी महफ़िल हँसी बहुत है मगर यहाँ पर
मैं कैसे नग़्मे ख़ुशी के गाऊँ उदास हूँ मैं
तिरे अलावा कोई नहीं है क़रीब दिल के
तू ही समझ जा या मैं बताऊँ उदास हूँ मैं
मेरे जिगर का तो हाल चेहरे पे दिख रहा है
किसी से कैसे भला छुपाऊँ उदास हूँ मैं
तुझे बताना तो चाहता हूँ प सोचता हूँ
तुझे बताऊँ नहीं बताऊँ उदास हूँ मैं
जिधर भी देखूँ उधर उदासी है अच्छी ख़ासी
कोई बताए कहाँ पे जाऊँ उदास हूँ मैं
तुझे मैं हँसता हुआ हमेशा हसीं लगा हूँ
क़रीब आऊँ तो कैसे आऊँ उदास हूँ मैं
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