कटेगा ये मुश्किल सफ़र धीरे-धीरे
चलो साथ में तुम अगर धीरे-धीरे
ग़म-ए-जिंदगी ने सिखाया बहुत कुछ
गए और भी हम निखर धीरे-धीरे
है अफ़सोस उनको दिया छोड़ जलता
उठा बनके लावा शरर धीरे - धीरे
थे डरते कभी बात करने से अब वो
मिलाने लगे हैं नज़र धीरे- धीरे
भला कूं के कोयल की दे क्युं सुनाई
हैं कट जा रहे जब शजर धीरे- धीरे
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